आजा द हिंद फौज का खजाना चुराने वाले को नेहरू ने बनाया पब्लिसिटी एडवाइजर?

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नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज (INA) के खजाने को लूटा गया था। लंबे वक्त से

चल रही इस बहस को उन दस्‍तावेजों से एक बार फिर हवा मिल गई है, कुछ दिनों पहले पीएम

नरेंद्र मोदी ने सावर्जनिक की हैं। 1951 से 1955 के बीच टोक्‍यो और नई दिल्‍ली के बीच हुए

पत्राचार से पता चलता है नेहरू ने 1953 में खजाना लूटने के आरोपी एएस अय्यर को पब्लिसिटी

एडवाइजर बनाया था। फाइल नंबर- 25/4/NGO-Vol 3 में नेताजी के खजाने का जिक्र है।

दस्‍तावेजों के मुताबिक, खजाने से करी ब 7 लाख डॉलर की लूट हुई थी। खजाने संबंधी घोटाले

का मुद्दा सबसे पहले अनुज धर ने अपनी किताब- India’s biggest cover-up में उठाया

था।

फाइलों के मुताबिक, टोक्यो मिशन के हेड केके चतुर ने 21 मई, 1951 को कॉमनवेल्थ रिलेशन

सेक्रेटरी बीएन चक्रवर्ती को इस खजाने के बारे में लिखा था। उन्‍होंनेहों नेबोस के दो साथियों प्रोपेगैंडा

मिनिस्टर एसए अय्यर और इंडियन इंडिपेंडेंस लीग के टोक्यो हेड मुंगा राममूर्ति पर शक जताया

था। लेकिन पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसे नजरअंदाज कर दिया था। 1952 में नेहरू ने यह

एलान भी कर दिया कि ताइवान में विमान हादसे में नेताजी की मौत हो चुकी है। सार्वजनिक किए

गए नेताजी से जुड़े दस्‍तावेज यह भी बताते हैं कि नेहरू सरकार ने 1947 से 1968 तक नेताजी

के परिवार की जासूसी भी करवाई


इंडियन इंडिपेंडेंस लीग के टोक्यो हेड राममूर्ति पर इंडियन इंडिपेंडेंस लीग के फंड और नेताजी

की पर्सनल प्रॉपर्टी के मिसयूज का भी आरोप लगा था। इनमें हीरा, सोना, चां दी सहित कई

वैल्यूएबल चीजें थी। इन मामलों में अय्यर का नाम भी आया था।


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